Hathras Exclusive
लोगों के लिए मिशाल बना हाथरस की डीएम का कदम
-अपने सवा दो साल के बेटे को आंगनबाड़ी में पढ़ा रही डीएम अर्चना वर्मा
-आम बच्चों की तरह आंगनबाड़ी में चार घंटे बिताता है डीएम का बेटा
-मुरसान के गांव दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र पर और बढ़े नौनिहाल
Byuro Report Lakshyaseema News
दरअसल आपको बता दें की हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा सरकारी अफसर और कर्मचारियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपने बेटे का दाखिला किसी बड़े नर्सरी स्कूल की जगह आंगनबाड़ी में कराया है। जबकि आमतौर पर किसी बड़े अधिकारी के बच्चे किसी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं,लेकिन डीएम के इस कदम ने सभी को चौका दिया है।
हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा के पास एक बेटी और एक बेटा है। उन्होंने अपने सवा दो साल के बेटे अभिजीत का दाखिल किसी प्ले गु्रप या किसी बड़े इंटरनेशनल स्कूल में नहीं कराया है बल्कि उन्होंने अपने आवास के पास ही गांव दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र में कराया है। डीएम का बेटा अभिजीत रोज गांव के ही आम बच्चों के साथ कई घंटे बिताता है। उन्हीं बच्चों के साथ कतार में बैठकर आंगनबाड़ी उसे खाना खिलाती है। सभी बच्चों के साथ वह खेल कूदता है। आंगनबाड़ी में सभी बच्चों के साथ एक समान व्यवहार होता है। डीएम के बेटे के दाखिले के बाद वहां बच्चों की संख्या बढ़ी है। अब दर्शना के आंगनबाड़ी पर 34 बच्चे आते है। शुक्रबार की सुबह ग्यारह बजे अभिजीत आते ही खेलने कूदने में मस्त हो गया। जैसे ही खाने का समय हुआ तो वहां हर बच्चे के लिए अलग से थाली लगाई गई। अभिजीत को उसकी आंगनबाड़ी खाना खिला रही थी।
अब आकर पता चला कि अभिजीत डीएम का बेटा है
दर्शना केन्द्र की आंगनबाड़ी ओमप्रकाशी का कहना है कि अभिजीत तीन महीने से रोज पढ़ने के लिए आता है,लेकिन कुछ दिन पहले ही पता चला कि वह डीएम साहब का बेटा है। कभी कभार डीएम साहब की बेटी भी उसके साथ पढ़ने के लिए आती है। अभिजीत के आने के बाद कुछ बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
वही जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना हैं की जनपद में 1712 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। इनमें डेढ़ लाख बच्चे पंजीकृत है। दर्शना के आंगनबाड़ी केन्द्र में डीएम मैडम का बेटा पढ़ता है। डीएम मैडम ने अपने बेटे को आंगनबाड़ी में पढ़ाकर सभी को संदेश दिया है कि सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई होती है। अभिजीत भी आम बच्चों की तरह केन्द्र पर पढ़ता है।
वाईट - धीरेन्द्र उपाध्याय, जिला कार्यक्रम अधिकारी हाथरस।